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Nikhil Sharma

Others

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Nikhil Sharma

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हाँ इसीलिए मैं खामोश हूँ ...

हाँ इसीलिए मैं खामोश हूँ ...

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हाँ इसीलिए मैं खामोश हूँ ...

होठ है सिले हुए, न कोई है गुफ्तगू 
तू जो दूर है, नहीं कोई जुस्तजू 
हुई जो है खता, उसकी शायद यह है सजा 
तुझे मिले जिसमें ख़ुशी, मैं वो आगोश हूँ ...
हाँ इसीलिए मैं खामोश हूँ ...

है करीब हम, पर है दूरियां 
बीच में हैं वक़्त की जंजीरें, हैं मजबूरियाँ 
तन्हाई में साथ देती सिसकियाँ 
मैं तेरी यादों में खो सा गया 
जागते हुए ही मैं सो सा गया 
मान ले चाहे तू, मैं बस हो गया एहसान फरामोश हूँ 
हाँ इसीलिए मैं खामोश हूँ ...

कैसे दिखाऊँ तुझे अपना चेहरा 
वक़्त देता है अब यादों पे पहरा 
मैं अपने ही गम में तड़प सा गया 
जाने क्यूँ मैं यूँ अब सहम सा गया 
हाँ इस लम्हे में बंध गया हूँ 
थम गयी है मन की इच्छाएं 
उन तमन्नाओं के लिए ही खामोश हूँ ...
तू आएगी है मुझको यकीन ...
हाँ इसीलिए मैं खामोश हूँ ...


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