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Niteesh Joshi

Inspirational

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Niteesh Joshi

Inspirational

एक रोज मैंने

एक रोज मैंने

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इक रोज एक घर में मैंने,

अपनों का रूठना देखा, रिश्तों का टूटना देखा।

उस रात पास के एक बगीचे में लेटे हुए मैंने,

फूलों का बिखरना देखा, सितारों का गिरना देखा।

कहते हैं हायत-ए-गम ही सच्चाई है,

फिर क्यों मैंने हर मोड़ पर, लोगों का खुशियाँ बटोरना देखा।

वो कहते हैं कि ना रहा खौफ, ना वो गम उनके जाने का,

क्यों फिर मैंने उनका शब-ए-रोज उठकर चिल्लाना देखा।

ना था खुदा, ना वो होगा कभी उनके लिए,

पूछता हूँ मैं उनसे तो फिर, क्यों, मैंने हर मुश्किल उन्हें खुदा को कोसने का बहाना देखा।

जिंदगी बड़ा ही लम्बा सफर है, कहते सुना मैंने बुजुर्गों से,

क्यों फिर मैंने कुछ लोगों का मुर्दा आना, और कुछ का चंद माह में मर जाना देखा।

सुनी हैं गाथाएं भाईचारे की बचपन से लाला,

ना जाने फिर क्यों मैंने, एक भाई का एक भाई के हाथ मर जाना देखा।

वो बोले उन्हें खबर ना मिली हमारे आने की,

क्यों! क्या नहीं उन्होंने पंछियों का चहचहाना और हवाओं का सिसकना देखा।

 


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