मोहब्बत का मालिक
मोहब्बत का मालिक
वो सुहाने ख्वाबों की बन के तामीर आया था
एक रात वो इतना मेरे करीब आया था
जो यार मेरी किस्मत में था ही नहीं कभी भी
वो ही इन हाथो की बन के लकीर आया था
लुट ली ज़माने ने दौलत सारे वजुद की
तब वो जिगर की बन के जागीर आया था
गवां के सब कुछ बचा के सिर्फ खुद को
ज़माने को छोड़ के मेरी खातीर आया था
भितर का समंदर जब तुफान बना था
दिल की लहरों का वो बन के साहिल आया था
"परम" हुस्न की सल्तनत थे हम जहान में
मोहब्बत का वो "पागल" बन के मालिक आया था