किये जा रही हूँ
किये जा रही हूँ
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मेरी मोहब्बत की वसियत लिखे जा रही हूँ,
ज़िन्दगी तेरे नाम सरे आम किये जा रही हूँ।
थक गये हैं कदम, वक्त से मोहलत माँगते,
साँसों को अब, बस तेरे नाम किये जा रही हूँ।
झरोखे से नज़रों में भरी तेरी तस्वीर और वो
मुझे छूके निकली हवा, तेरे नाम किये जा रही हूँ।
जो अल्फाज़ लबों तक आने से सहमे हुए हैं,
उस आवाज़ को अब तेरे नाम किये जा रही हूँ।
मुट्ठी में सिमटी है जो तकदीरें हमारी अरसे से,
हाथों की लकीरों को तेरे नाम किये जा रही हूँ।