साया हूं में
साया हूं में
1 min
1.4K
धूप में साये का अहसास है होता,
साथ वही तेरे साया हूं में...
गम के मौसम ने जब भी पुकारा,
तेरी आँखों से बहता आया हूं में...
तुमने समझा कभी मुझको अँधेरा,
तो कभी पानी समझ गिराया हूं में...
आंखें भी खोली जो मुझे सोचकर,
सामने सर झुकाये पाया हूं में....
तुमने नींदों में भी जब पुकारा,
तुम्हारा सपना बन आया हूं में...
तुमने समझा बस मुझको सपना,
तो कभी रस्ते का पत्थर समझ हटाया हूं में...