जानना
जानना
उसे पास से नहीं,
करीब से जाना है
पर जाना तो है!
जैसे जानी गयी थी
एक नदी...
जिसकी मिट्टी
समंदर किनारे पड़ी
अब नन्हें हाथों का
मकान हो गयी है,
सुनो मिट्टी का
घर बनाना है
एक दिन,
जिनमें प्रेम की
बेलें लहराएंगी
उसे पास से नहीं,
करीब से जाना है
पर जाना तो है!
जैसे जानी गयी थी
एक नदी...
जिसकी मिट्टी
समंदर किनारे पड़ी
अब नन्हें हाथों का
मकान हो गयी है,
सुनो मिट्टी का
घर बनाना है
एक दिन,
जिनमें प्रेम की
बेलें लहराएंगी