गम को दे गोली ( भाई लोग की कविता )
गम को दे गोली ( भाई लोग की कविता )
खुशियों की खोली झोली
तो जिंदगी अपुन से बोली
गम को दे गोली...गम को दे गोली।
डराया जिसने अपुन को
उसकी खुद की नैय्या डोली
वो गिरकर उठ न पाया
बाद में, अपनी ही सूरत धोली...गम को दे गोली।
पंटर लोग के लफड़े में
एक दिन मौत ने बाँहें खोली
अपुन ने कदम क्या रखा
साला, बिखर गई पूरी टोली....गम को दे गोली।
आंधी के सामने
जब पूरी दुनिया रो ली
सीना तानकर अपुन ने
रोज मनाई होली...गम को दे गोली।
एक ही बार जीना है
बुलाओ आज ढोली
नाचो, गाओ, झूमों आज
जब की सारी दुनिया सो ली...गम को दे गोली।
खुशियों की खोली झोली
तो जिंदगी अपुन से बोली
गम को दे गोली...गम को दे गोली।