आज फिर चाहिये
आज फिर चाहिये
राष्ट्र-प्रेम, धर्म-ध्वजा, थामे जो चले सदा ।
जोश ऐसा युवाओं में, आज फिर चाहिये ।।
रक्तरंजित ये वसुधा, अखंडित रखे सदा ।
भारती को ऐसे लाल, आज फिर चाहिये ।।
शत्रु का संहार करे, रणभेरी बजा-बजा ।
लहू में इस कदर उबाल,आज फिर चाहिये।।
गुरु गोविंद, विवेकानंद, संग हिंद को ।
हमीद, भगत, चंद्रशेखर,आज फिर चाहिये।।
अरि-रक्त से तिलक हो, भारती के भाल पर।
मर्दानी लक्ष्मीबाई, आज फिर चाहिये।।
भगवा हो तन पर, और माथे हो तिरंगा ।
ऐसे कर्मवीर यौद्धा, आज फिर चाहिये ।।