इश्क़ तो वो भी करने लगे हैं
इश्क़ तो वो भी करने लगे हैं
इकतरफा मुहब्बत तो वो भी करने लगे हैं
न जाने क्यूँ हमे ही बताने से डरने लगे हैं ?
कल तक जो आइने से कभी दूर रहते थे
वो देखो कैसे आज घंटो संवरने लगे हैं !
दिया था कभी गजरा एक निशानी के तौर पे
बालों पे लगा कर अब ज़ुल्फे लहराने लगे हैं
जो उड़ते थे कभी मगरूर होकर आसमां में
आज कल जमीं पर थके - थके से चलने लगे हैं !
पहले तो माना कि हम ही मरते थे उन पर
पर अब तो वो भी हमपे जान छिड़कने लगे हैं
तनहा गुज़रती थी राते हमारी उनके बगैर
वो भी अब चाँद तारो से गुफ्तगू करने लगे हैं !
करते थे इन्तज़ार उनका उस गली में कभी
आज कल वो भी हमे ही तलाशने लगे हैं...।