क्यों हो आप मुझसे रूठी हुई
क्यों हो आप मुझसे रूठी हुई
ओ मैया मोरी ओ मैया मोरी,
अब तो दरस दिखा जा तेरे द्वार में खड़ी हाथ जोड़,
तेरी ही पूजा अराधना की है बरसों मैंने,
बिन मांगे ही पूरी की है तूने मेरी हर आशा,
फिर क्यों हूँ मैं आज निराश ओ मैया मोरी,
इतना तो आज बता जा क्यों है
दिल खफ़ा खफ़ा ये समझा जा,
नहीं मांगा तुझसे कभी कुछ
फिर क्यों आज ये नौबत आई,
चारों और छाया है घनघोर अंधेरा,
अब तो रोशनी की किरणें बिखरा जा,
किया था चण्ड मुण्ड का नाश तुमने,
आज मेरे कष्टों का भी नाश कर दो,
आँसू भरे इस चेहरे पर
ख़ुशियाँ ही ख़ुशियाँ भर दो,
खाली मेरी इस झोली पर मैया
अपनी मेहर कर दो,
माता तो नहीं रूठती कभी बच्चों से,
फिर क्यों हो आप रूठी मुझसे...