वो विशाल है
वो विशाल है
थोड़ी नादानी थोड़ी बेवकूफी तो सबके हक़ में होती है
उस हक़ के हद से जो न डरे
वो विशाल है।
खड़ी है वो दुनिया जब लोगों को हसने का साथी न मिलता
साथ दे किसीका तो जो कभी छोड़े
वो विशाल है।
एक मंज़िल खुद की बनाई है, एक राह उसने चुना है
उस राह में आते मुश्किलों को रौंध जाता
वो विशाल है।
शायद ऐसा कुछ होगा, जो उसे डराता हो
एक बात ठान ली उसने तो रुकता नहीं बिना करे
वो विशाल है।
चाहने वाले उसके इतने, प्यार की कभी कमी न हो उसे
और हाँ, ये लाइन मज़ाक का नहीं है की
"अरे, वो विशाल है"।
दोस्त, भाई, कॉलीग तो मिल भी जायेंगे आगे
इन सब में एक सच्चा आदमी मिल जाये
वो विशाल है।