कोई अपना बनेगा
कोई अपना बनेगा
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देखा है मैंने एक सपना,
अब उन्हें पाने की।
जो प्रिय पुष्प की कलियाँ हैं,
स्वर में जिनके कोयलियाँ हैं।
ना मिले कभी, ना दिखे कभी,
ना जीवन को आभास हुआ।
इस कदर आएंगे वे,
ना कभी अहसास हुआ।
मेरी खोज कई जन्मों से,
अधूरी की अधूरी रही।
एक रात में पूरी होगी,
ना मुझे विश्वास हुआ।
रंग - रूप की बनी नहीं,
सादगी से भरी वह मूरत है।
देखा है मैंने एक सपना,
अब उसे पाने को।