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Vandana Singh

Romance

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Vandana Singh

Romance

क्या है आखिर सच ?

क्या है आखिर सच ?

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'स्वप्न कवि की टूटती प्रतिमा का पुनर्निर्माण'

या खोया एक समय उसके साथ

या फिर पल-पल उस जकड़न से

निजात पाने की जिजीविषा।


और अपनी इस उधेड़बुन में

एक अनचाहे डर का सामना

जाने क्या था आखिर सच ?


मेरा पागलपन या यूँ ही

समय का बीतना

वो काँच की किरचों सी चुभन,


और पल-पल

उन भारी लपटों की जलन

आज भी उन अतीत की परछाइयों से

अछूता,असंबंधित रह पाने की अगन।


एक लहर में डूब जाने से पूर्व

बार-बार मन को चेतना

जाने क्या है आखिर सच ?


मेरा पागलपन

या यूँ ही समय का बीतना

आज जो 'तुम' मिल गए

तो मन में गूंजते हैं यही शब्द।


काश ! न होता वो मरणासन्न अतीत

उतावलापन पर जीवन निःशब्द

मेरे शर्म व संकोच में सिमटे नज़र

या धीमे-धीमे कदम का बढ़ना

जाने क्या है आखिर सच ?


मेरा पागलपन या यूँ ही

समय का बीतना।।


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