पक्षी
पक्षी
दूर गगन में पंखों को फैला कर
उड़ते रंग-बिरंगे पक्षी
प्रकृति की सुंदरता को बढ़ाते
कलरव करते, मधुर गीत गाते
क्या पर्वत, क्या समंदर
सब को पार कर जाते हैं
नहीं इनके लिए सीमा कोई
ना ही कोई सरहद
जहां चाहते उन्मुक्त उड़ जाते
दूर गगन में ऊंची उड़ान भरते
लगता जैसे सूरज से मिलने जाते
इनकी चहचहाहट से
गुंजायमान आकाश है
तिनका-तिनका जोड़ कर
अपना आशियाना बनाते
दाना चुग चुग के
अपने बच्चों का पेट भरते
जात-पात, रंगभेद
नहीं कुछ भी महत्व रखते
ये पक्षी ही तो कुदरत की शोभा
बढ़ाते हैं।