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SURYAKANT MAJALKAR

Romance

5.0  

SURYAKANT MAJALKAR

Romance

हुस्न से रुबरु

हुस्न से रुबरु

1 min
414


उस शहर का नाम बताओ

जहाँ तेरा जिक्र ना हो ।

उस दिल का नाम बताओ

जिसको तेरी फिक्र ना हो ।


जहाँ से तुम गुजरते हो

हर आशियाना बेपर्दा 

हो जाता है।

किसको अपने घर का

चाॅंद नजर आता है ।


उस गली, उस मोड़ से पूछो

उस बुजर्ग साधु से पूछो ।

बेपरवाह हवा से पुछो

गगन की काली घटा से पूछो


सबको तेरा इंतजार है

मिलने को दिल बेकरार है

छाने लगी मौसमे बहार है

पर्दानशीन हुस्न पे प्यार है


अदायें, वफायें , वो कातिल निगाहें

हल्की सी मुस्कान, लज्जा हो बईमान

वो खिलता जोबन, बातो मेंं साधापन

कही खो गया है इश्क का आफताब।


हमारे बगैर ये दौलत किस काम की

लुटाते रहो बिना परवाह की।

चली आओ सूरज ढलने से पहले

मोहब्बत का चिराग बुझने से पहले।


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