इन कागज़ के पन्नों पर
इन कागज़ के पन्नों पर
आज कलम उठाया
तो मन हुआ की
जितना प्यार दिल
में भरा है
उतार दूं सारा
इस कागज़ पर,
ताकि फिर न
प्यार पाने की
इच्छा हो
न खोने का गम ,
न दुरी का एहसास हो
न सांसो को
सांसो की आस हो ,
न याद कर
आंखें नम हो
न दिल मे
खालीपन हो ,
न बाँहों मे
सिमटने की चाह हो
न धड़कनों को
धड़कनों से राह हो ,
बस इन कागज़
के पन्नों पर
बिखरे मेरे
आखरी चाह हो
आखरी आह हो....