तन्हाई और तेरा ख्याल
तन्हाई और तेरा ख्याल
ये तन्हाई कैसे गुजर कर रही है
हाँ तेरी मुहब्बत असर कर रही है।
मिलें आज हम तो ये लब भी सिले थे
मगर छुप के बातें नजर कर रही है।
तेरी झील सी इन निगाहों को देखा
समंदर सी ऊँची लहर कर रही है।
यादों से बोलो रहे दूर मुझसे
परेशान आठों पहर कर रही है।
नहीं कर सकी अनकही सी जो बातें
वो मेरी ग़ज़ल की बहर कर रही है।