Ranju Sharma
Fantasy
कोई गीत जैसे
हौले से
सरक जाता हैे कानों से
और
स्वर को कहीं बैठा जाता है
मन में
तेरा होना भी वैसा है।
गीत
मीरा' मान ले जब हार, छुप छुप ले सिसकियां।। खोलती हैं पुस्तकें, ज्ञान की तब खिड़कियां।। मीरा' मान ले जब हार, छुप छुप ले सिसकियां।। खोलती हैं पुस्तकें, ज्ञान की तब खि...
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भीड़...। भीड़...।
कोई जगह कोई दहर हो जहाँ वक़्त न पंहुचा हो अभी भी बेवक़्त पहुँचेंगे वहाँ और बैठे रहेंगे सोचा क... कोई जगह कोई दहर हो जहाँ वक़्त न पंहुचा हो अभी भी बेवक़्त पहुँचेंगे वहाँ और ...
दिन भर नियति से लड़, जब मैं थक जाता हूँ तब इन्हीं रंगों को देख, थोड़ा सुख चैन पाता हूँ। दिन भर नियति से लड़, जब मैं थक जाता हूँ तब इन्हीं रंगों को देख, थोड़ा सुख चैन प...
महानगर में हाउसवाइफ महानगर में हाउसवाइफ
मुझे दगाबाज समझ कभी मुंह फेर मत लेना क्या तुम कर सकते हो मुझसे प्यार उतना? मुझे दगाबाज समझ कभी मुंह फेर मत लेना क्या तुम कर सकते हो मुझसे प्यार...
ये कविता महज़ एक आत्मा की उत्पत्ति है ये कविता महज़ एक आत्मा की उत्पत्ति है
मेरे सपने...। मेरे सपने...।
रह लेता हूँ मैं भी अकेला, जैसे रहती हो तुम भी खोई, ये बेपरवाही या और ही कुछ है, तुम तो अब नादाँ नहीं... रह लेता हूँ मैं भी अकेला, जैसे रहती हो तुम भी खोई, ये बेपरवाही या और ही कुछ है, ...
सोचता हूँ हाल-ए-दिल, बयां करके देखूँ... सोचता हूँ हाल-ए-दिल, बयां करके देखूँ...
आखिर वो है कहाँ बारिश की अल्हड़ बूंदे मुझ से बार-बार पूछे... आखिर वो है कहाँ बारिश की अल्हड़ बूंदे मुझ से बार-बार पूछे...
‘गुडिया’ सी नुमाइश करती है फिर वह ‘टीवी’ ‘फ्रिज’ स्कूटर’ हो जाती है . ‘गुडिया’ सी नुमाइश करती है फिर वह ‘टीवी’ ‘फ्रिज’ स्कूटर’ हो जाती है .
राग छेड़ा मुख पर पिया, मैं प्रेम रथ का ताज बनूँ । राग छेड़ा मुख पर पिया, मैं प्रेम रथ का ताज बनूँ ।
ला साकी थोड़ी तो और शराब ला सागर को छलकने दे जी भर के तू अभी अंजुम की रोशनी में भी खि ला साकी थोड़ी तो और शराब ला सागर को छलकने दे जी भर के तू अभी अंजुम की रोशन...
इसकी कभी ना फीकी पड़ेगी शान, करती रहूंगी सदा इसका सम्मान। इसकी कभी ना फीकी पड़ेगी शान, करती रहूंगी सदा इसका सम्मान।
भोग के लिए होती नहीं है सत्ता सेवा के लिए। भोग के लिए होती नहीं है सत्ता सेवा के लिए।
आँखें, जब किसी की पानी से भरी हुई परातें बन जाएं... आँखें, जब किसी की पानी से भरी हुई परातें बन जाएं...
आँधियों के थमने पर चिड़िया फिर निकल पड़ती हैहवाओं को चीरती किसी चिड़े की तलाश में...बाढ़ में बिखर जाने क... आँधियों के थमने पर चिड़िया फिर निकल पड़ती हैहवाओं को चीरती किसी चिड़े की तलाश में.....
'कांपती पत्ती गुलाब की, यूँ अधरों को में रूप देता, फिर सिखा तुझे नाम अपना, तुझसे नया सा सुन लेता।' ए... 'कांपती पत्ती गुलाब की, यूँ अधरों को में रूप देता, फिर सिखा तुझे नाम अपना, तुझसे...