मेरा………
मेरा………
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मैं बंजर धरती, मेरा आसमाँ था वो,
मैं उमड़ता सैलाब, मेरा किनारा था वो,
मेरे निश्छल बचपन का गवाह था वो,
मेरी शरारतों का इकलौता ठिकाना था वो,
मेरी हर सुबह का लक्ष्य था वो…………..
मुझे बनाने मे इस कदर जुटा वो,
मेरी ज़िंदगी की अमिट श्याही बना वो,
कुम्हार सी लगन, गीतकार-सा मग्न,
रचने लगा वो मुझे परवान बन,
कभी सावन-सा झूम उठा, कभी पहाड़-सा अडिग रहा,
समुद्र-सा गहरा, धुप-सा सुनहरा,
मेरे गुरुओ का बसेरा, मेरे जीवन का सवेरा,
मेरा बचपन का संसार, मेरे संस्कारो का आधार
मेरी राहों का अनदेखा किरदार बना था वो,
मेरे बावरे सपनों का आकाश, मेरा स्कूल था वो…………