पिता
पिता
पिता सम तुल्य, कोइ नहि जग में।
सत-सत नमन, करूँ इस मन से।।
अवसर पाइ करै, पिता सेवा।
इनके चरऩ में है, सब मेवा।।
धरम करम सब, इन्हहिं समर्पित।
इन्हहिं बदौलत, हम हैं जीवित।।
सर्व सुख सुत हेतु, करै निछावर।
धन्य मातपितु को, शीश झुकावत।।
"अंजलि" यहै, निवेदन कीन्हों।
जनम-जनम, ऐसो पितु दीन्हों।।