काम हैं अपार-बहाने बेशुमार
काम हैं अपार-बहाने बेशुमार
कुछ को करनी है केवल शिकायत,
हर बात का सदा रोते रहते हैं रोना।
आप चाहे लाख जतन कर डालो,
और चाहे फिर एक भी करो ना।
हमें न करना है कुछ, करे सरकार,
करने वालों को जग में, काम हैं अपार,
न करने वालों के पास, बहाने बेशुमार।
बोतल-नोट लेकर वोट दे दिया, हो गया काम,
शिकायत अब किस मुंह से करें? अब मेरे राम।
किस का अब कर्तव्य क्या है ? न है जानकारी,
योजनाओं का हम लाभ लें कैसे ? जो हैं सरकारी।
धूर्तों की हां में हां करते ही, बीता जीवन हमार,
करने वालों को जग में काम हैं अपार,
न करने वालों के पास, बहाने बेशुमार।
जागरूक और प्रयत्नशील रहें, करें खुद काम,
धोखा मिलता ज्ञानाभाव में, करिए न बदनाम।
नीर-क्षीर विवेक के सहारे अर्जित करें शक्ति ,
निर्णय करें निज विवेक से न करें अंधभक्ति।
शक्तिशाली को ठगने की हिम्मत, न करे संसार,
करने वालों को जग में काम हैं अपार,
न करने वालों के पास बहाने बेशुमार।
इस संसार आगमन का ,उद्देश्य बड़ा है खास,
संघर्ष दूजा नाम जीवन का, होवें नहीं उदास।
आसपास सभी जन के रूप में, प्रभु हमारे पास,
आपसी सहयोग करें रह सतर्क, करके विश्वास।
अति और बिन विश्वास से ,चले न काम हमार,
करने वालों को जग में ,काम हैं अपार,
न करने वालों के पास ,बहाने बेशुमार।
कभी रहें न किसी के सहारे, करें खुद को मजबूत,
आंख मूंद मत करें भरोसा, संदेह पर मांगे सबूत।
सरल रहें पर बनें न पप्पू ,न शोषित हों न शोषक ,
अर्जन शक्तियों का श्रम से, हों निर्बलों के हम पोषक।
तन-मन-धन से जग की सेवा, तो जीवन सफल हमार,
करने वालों को जग में, काम है अपार ,
न करने वालों के पास, बहाने बेशुमार।