सत्यलेखन
सत्यलेखन
निर्भीक और सत्य लेखन,
अब अतीत की बात हुई !
सत्य कहा तो निश्चित ही,
लेखक को कारावास हुई !
सब कहो पर सत्य नहीं,
ठकुर सुहाती कहते रहो !
आया देखो कैसा जमाना,
सच्चाई की अब कदर नहीं !
कबीर रहीम लिखें कैसे,
सत्य अब चुभता है बहुत !
चिंतक बैठा सिर धुनता,
झूठ ही झूठ में जियें कैसे ?