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Rahul Rajesh

Others

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Rahul Rajesh

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जीवन जीता हूँ

जीवन जीता हूँ

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जीवन जीता हूँ

जीवन का मर्म जीता हूँ

जीवन का धर्म जीता हूँ

 

पत्थर नहीं हूँ मैं

पत्थर की लकीर भी नहीं हूँ

फकीर नहीं हूँ मैं

लेकिन लकीर का फकीर भी नहीं हूँ

 

जितना हो सके, करता हूँ

ईश्वर से डरता हूँ

ईश्वर के विधान से डरता हूँ

 

जितना ही किसी के काम आ सकूँ

हर क्षण कोशिश करता हूँ

जितना ही लुट-पिट जाऊँ

छला जाऊँ, ठगा जाऊँ

अपने ही रस्ते चलता हूँ

 

अनंत अदृश्य में जो बैठा है

वही दाता है, त्राता है

उसका ही दिया सबकुछ

जब जितना हो सके

उसका ही ऋण चुकाता हूँ।


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