हालात-ए-इश्क़
हालात-ए-इश्क़
छुप-छुप के देखता है, घबराया करता है,
उसके ज़र्द आँखों की नमी चुराया करता है।
अकेले में खुद से शर्माया करता है,
जो मिलती है नज़रे तो झुकाया करता है।
तस्सवुर से तस्वीर बनाया करता है,
ख़्वाबों से अपने सजाया करता है।
जताने की हिम्मत जुटाया करता है,
पास आने पे उसके डर जाया करता है।
सज़दे में उसको ही दुआया करता है,
उसकी आदतों को अपनी आदत बनाया करता है।
दिल ही दिल में खुश हो जाया करता है,
मोहब्बत में अक्सर इंसान अकेला मुस्कुराया करता है।