मां तू कितनी लापरवाह है
मां तू कितनी लापरवाह है
तुझे मेरी इतनी चिंता है
कि अपना दर्द नहीं दिखता है,
मेरी जिद के आगे तुझको
अपना आराम नहीं दिखता है।
मुझे थोड़ी भी तकलीफ हो तो
तू अपनी नींद भुला देती है,
मेरे दर्द को देख कर तू
कितने आंसू बहा देती है।
मेरी सारी जिद तो मान लेती है
बस एक बात नहीं मानती है,
मैं कहता हूं ख़्याल रख अपना
इस बात को हमेशा टालती है।
पर इतनी सी बात नहीं समझती है
कि मुझे भी तेरी परवाह है
मुझसे ज्यादा तो तू जिद्दी है
मां तू कितनी लापरवाह है
मां तू कितनी लापरवाह है।