माँ के आँचल से
माँ के आँचल से
हे माँ तेरी महानता का कहीं पार है नहीं,
बस वो ही अभागा है जिसे तेरा प्यार मिला नहीं,
भूले से भी कोई भूल न सकता तेरे आँचल की छाया,
तू क्षमा का है सागर तू प्रभु की है काया,
करुणा भरी नियत में तेरी कम दुलार है नहीं,
हे माँ तेरी महानता का कहीं पार है नहीं,
ये चमकते सूर्य चन्द्र सारे धरती गगन सितारे,
इक तेरे ही दम से पाये ये रोशनी और नजारे,
तेरे बिना कुदरत का हमें होता दीदार यूं नहीं
हे माँ तेरी महानता का कहीं पार है नहीं,
चाहे रही कहीं भी ध्यान रहा सदा हम पर,
ममता के आँचल की छाया रही हमारे सर पर,
कहीं अन्त है तेरे प्यार का ये साकार है नहीं,
हे माँ तेरी ममता का कहीं पार है नहीं।