धन्यवाद, हे चंद्रमा
धन्यवाद, हे चंद्रमा
धन्यवाद, हे चंद्रमा
सुनी-सुनी सड़कें
सूना-सूना आसमाँ
सोए हुए पक्षी ये
खुली-खुली दास्ताँ
छाया हुआ अँधेरा
न कोई चँद्रमा,
न कोई आरज़ू
न है किसी का इंतज़ार
ना.... ना.... ना
अकेली मैं, अकेला तू
साँझ मैं, सवेरा तू,
छाया हुआ सन्नाटा, न कोई है पता
बुझी-बुझी बत्तियाँ, बुझा-बुझा ये समाँ।
कहाँ हूँ मैं, कहाँ है तू?
ढूँढू कहाँ, ना है पता।
क्या करूँ या न करूँ, मदद कर हे चँद्रमा
अचानक बादल हट गए और रोशनी फ़ैल गई।
चमक गए चाँद सितारे फ़ैल गया उजियारा,
टिमक-टिमक कर दिख गए सड़क और किनारा।
ख़ुशी से नाच उठी मैं,
नाच उठी धरती,
नाच उठी जग सारा।