मेरी तुम्हारी बात बीत गयी
मेरी तुम्हारी बात बीत गयी
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आँखों के झपकते
पलकों में
देखो कैसे रात बीत गयी
चर्चाओं से सनी दोपहरी पर
मेरी तुम्हारी
भी बात बीत गयी
तुम बेवजह खंगालते
रहते थे, उन तुफानों
की औकात बीत गयी
गठबंधन से बंधा
कोमल धागों से जुड़ा
सदियों की वो साथ बीत गयी
मेरी तुम्हारी बात बीत गयी।