ऐसा क्यों? होता है।
ऐसा क्यों? होता है।
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ख़ामोशी की कोई जुबां क्यों नहीं होती
अल्फाज़ों की कोई जुबां क्यों नहीं होता
क्यों हम चाह कर भी सबकुछ ठीक नहीं कर सकते
क्यों हम सब चाह कर भी एक साथ नहीं रह सकते
हर पल जिन्दगी इतने इम्तिहान क्यों लेती है
हर दिन खुशशनूमा क्यों नहीं हो सकता
क्यों कभी-कभी हम डर के साए में जीते हैं
क्यों कुछ लोगों की जिम्मेदारियाँ कभी खत्म नहीं होती
आख़िरकार ऐसा क्यों होता है पता नहीं।