कविता - ये रस्ते
कविता - ये रस्ते
रस्ते कटते नही कटते,
भीडसे भरेपुरे ये रस्ते।
या फिर सुनी गलियोसे,
गुजरते जानेवाले हो रस्ते।
कोई हमसफर मिले गर हमे,
चले जो हाथ ले कर हाथ मे।
दिल होगा नाउम्मीद फिर कभी,
चलता जाये हसते हसते रस्ते।
जिंदगी वैसे भी एक चलना है,
मुष्कीलो से गुजरनाही पडेगा।
दिल मे अगर जजबा हो हमारे,
यकीनन आते है आसान रस्ते।