पतिदेव की सफाई
पतिदेव की सफाई
पती उवाच:
फंस गया था मैं बरसात के मौसम में
मत बाँधो ऐसे मुझे अपनी कसम में
मैं वही रुका था और वो वही रुकी थी
२०२ में मैं था ,९०२ में वो रुकी थी
मत मुझे पुछना, "नंबर कैसे जानता हूँ?"
'बुकिंग मैने कराई थी' में खुद ही मानता हूँ
सच -सच कहता हूँ , आँखे मेरी नम है
यक़ीन नहीं फिर भी तो उसी की कसम है
उच्च स्तरीय जाँच चाहो तो तुम कर लो
CCTV फूटेज की भी जाँच कर लो
पत्नी मेरी तुम ही हो सखी मेरी तुम ही हो
दया मेरी तुम ही और बबीता मेरी तुम्ही हो
निर्दोषता का विश्वास आज मैं दिलाता हूँ
कसम के भगवान की कसम मैं खाता हूँ
पत्नी उवाच:
बात झूठी निकली तो हद कर जाएगी
मारे शरम के तो हक़ीकत मर जाएगी
भरोसे की डोरी मेरी जल्दी ना टूटेगी
हड्डियाँ टूटेंगी जीस दिन डोर वो टूटेगी