प्रधानमंत्री जी
प्रधानमंत्री जी
प्रधानमंत्री जी, कैसे मान ले, अच्छे दिन आने वाले हैं ।
मेरे शहर में हर एक, सड़क पड़ी टूटी है
बिजली के दर्शन दुर्लभ, कबसे ये रूठी है
त्राहि- त्राहि पानी की, क्या और मचाने वाले हैं
प्रधानमंत्री जी, कैसे मान ले, अच्छे दिन आने वाले हैं ।
कितने सारे लोग मांग कर, भीख की रोटी खाते हैं
लाखों बेघर मारे फिरते, फुटपाथों पे सो जाते हैं
भूखे और कुपोषित बच्चे, किसके अब हवाले हैं
प्रधानमंत्री जी, कैसे मान ले, अच्छे दिन आने वाले हैं ।
किसान गरीबी की चक्की में, अब भी पिसता है
मजदूरों का हक़ अब भी , रोज़ ही तो छिनता है
मेहनतकश लोगों के, हाथों में क्योँ छाले हैं
प्रधानमंत्री जी, कैसे मान ले, अच्छे दिन आने वाले हैं ।
चौक में अब भी बेशर्मी से रिश्वत खाई जाती है
बिना पैसा दिए कहाँ पर फ़ाइल बड़ाई जाती है
रिश्वतखोर, कालाबाज़ारी, सब नेताओं के पाले हैं
प्रधानमंत्री जी, कैसे मान ले, अच्छे दिन आने वाले हैं ।
देश का पैसा वापिस लाने, के झूठे सब ख्वाब हुए
बचा धन समेट कर, माल्या, मोदी फरार हुए
आपके राज में भी तो, चालू वही घोटाले हैं
प्रधानमंत्री जी, कैसे मान ले, अच्छे दिन आने वाले हैं ।
जनसंख्या का बढ़ना, अब भी एक बीमारी है
लूट स्कूलों, हॉस्पिटलों की , अब भी क्यों जारी है
दबे, उजड़े लोगों का क्या, खून चूसने वाले हैं
प्रधानमंत्री जी, कैसे मान ले, अच्छे दिन आने वाले हैं ।
आपको किससे घबराहट, 36 इंच का सीना है
फिर भी बहू बेटी का, मुश्किल सड़क पे चलना है
कश्मीर में कितने और फौजी, भेंट चढ़ाने वाले हैं
प्रधानमंत्री जी, कैसे मान ले, अच्छे दिन आने वाले हैं ।
कट रही थी ज़िन्दगी, जहन्नुम क्यो बना डाला
खाना-पीना, रहना, सब पे टैक्स लगा डाला
अब लगता है, सांस लेने पे, टैक्स लगाने वाले हैं
प्रधानमंत्री जी, कैसे मान ले, अच्छे दिन आने वाले हैं ।