ग़ज़ल :-
ग़ज़ल :-
छू रहा है मुझे ख़याल तिरा।
क्या कहूँ और तो कमाल तिरा।
किसने तस्वीर ये बनाई है।
किसने लिक्खा है ये जमाल तिरा।
दीद के बाद होश जाते रहे।
क्या बयाँ करता मैं जलाल तिरा।
हर कोई था तिरे ही ज़ेरे असर।
पूछता भी मैं , किससे हाल तिरा ।
छू रहा है मुझे ख़याल तिरा।
क्या कहूँ और तो कमाल तिरा।
किसने तस्वीर ये बनाई है।
किसने लिक्खा है ये जमाल तिरा।
दीद के बाद होश जाते रहे।
क्या बयाँ करता मैं जलाल तिरा।
हर कोई था तिरे ही ज़ेरे असर।
पूछता भी मैं , किससे हाल तिरा ।