गंदा षड़यंत्र
गंदा षड़यंत्र
निकले थे वो जवान
अपने घरों से
अपनी छुट्टी होते ही खत्म,
भारत माँ की
करने सेवा।
हमेशा की तरह
बिना डर के एक साथ
थामें एक दूसरे का हाथ
दोपहर के तीन बजे
बस नजदीक ही थे
वह अपने मंजिल के।
खौफ दिया खंजर डरपोकों ने
पीठ में इस कदर
वो रास्ता भी चीख उठा
सुन वो दर्दनाक हादसा।
उस आवाज़ से पूरा
श्रीनगर भी काँप उठा
क्या हुआ पता चलने से पहले
जवानों का रक्त माँस बिखरा
भारत माँ की जमीन पर।
सी आर पी एफ के चालीस जवान
हो गये इस गंदे
षड़यंत्र का शिकार
इतनी जीवित हानि
करने के बाद भी
ना आये वो बाज।
और फिर वे
गंदे आतंकवादी
छिपकर कर रहे हैं
पीठ पीछे फिर से वार।
पर हमारी सेना
देगी उन्हें करारा जवाब
डाल कमीनों की
आँखों में आँखें।
चीर देंगे उनका
घटिया इरादा
पर क्या कोई
ऐसा है
भारत माँ का लाल,
लगाके अपने
सीने पे वही
सब सामान
तहस नहस कर
बंजर कर दे,
हमेशा के लिए
आतंकवादीयों के साथ
उनके गंदे कारनामों की
नापाक दास्ताँ ?