Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Rashmi Jain

Others

2  

Rashmi Jain

Others

मुट्ठी भर आसमान

मुट्ठी भर आसमान

1 min
293


शाम ढले 


देख चकित हुआ मन 


क्षितिज पर बिखरा हुआ था अनेक रंग 


पूछा अंबर से 


अब तो रात हो रही है 


फिर ढलने से पहले ये रंगों का मेला कैसा 


अंबर हँसा 


कहा 


अंधेरे से पहले सन्नाटा कैसा 


ढलने से पहले ही ढलना कैसा 


अंबर की ये बातें सुन 


हैरान हुआ मन 


जब सर उठाकर देखा 


नभ के टिमटिमाते तारे बोले 


आसमान के सारे राज़ खोले 


सिर्फ़ हमें ही नहीं 


इसने आँचल में सारे पहरों को है समेटा 


मौसम की रंगत को है लपेटा 


है शामियाना ये पूरे ज़ग का 


तभी तो कहते हैं 


शामो सहर सर पर पहरा है आकाश का 


आज़ भी चल देता हूँ 


नंगे पैर दौड़ जाता हूँ 


कहीं दूर नील गग़न में 


रात की चादर तले 


आसमान की बाँहों में 


सितारों की महफ़िल में 


सपनों की बस्ती में 


उमीद का दामन थामे 


कोशिशों का ज़ामा पहने 


मंज़िल की तलाश में 


बस इसी आश में 


कुछ और ना सही 


हीरे मोती ना सही 


चाँद सितारे ना सही 


मुट्ठी भर आसमान तो हाथ आए 


मुट्ठी भर आसमान तो हाथ आए 


Rate this content
Log in