शहर
शहर
कल की खबर थी कि तुम शहर हो गए,
दिल के अरमान जो थे दिल में ही रह गए,
कौन कहता है कि खो गयी है वफ़ा,
हम वहीं है जहाँ तुम छोड़ के आ गए|
पानी नादियों का अब छलकता नहीं,
किनारो पर अब ठहरता नहीं,
बंद हुई मछलियों की वो मस्तियाँ
अब शिकारी किनारे पर आता नहीं|