माँ
माँ
यहाँ इस शहर में जब बारिश होती है
और ओस की हर एक बूँद
जी भर धरती को भिगोती है
हवा जब एक - एक करके
सारे रंग बादलों में पिरोती है
तब तुम मुझे बहुत याद आती हो माँ
तब तुम मुझे बहुत याद आती हो
गाहे बगाहे यहाँ कभी
हल्की - हल्की बयार चलती है
और फिर कुंवारी शाम
दिन के शोर से शरमा के निकलती है
जब कोई छोटी - सी लहर
किनारे से मिलने को तरसती है
तब तुम मुझे बहुत याद आती हो माँ
तब तुम मुझे बहुत याद आती हो
सुबह - सुबह जब कहीं दूर
कोयल गुनगुनाती है
और फिर इक नन्हीं - सी कली
आँखें मींचे खिलखिलाती है
ओस जब अलसाये पत्तों को
हल्के - हल्के नहलाती है
तब तुम मुझे बहुत याद आती हो माँ
तब तुम मुझे बहुत याद आती हो
ज़िंदगी इस भाग दौड़ में
कभी - कभी ठहरती है
और भीगी पलकें लिये चुपके से
अंधेरे वन में उतरती है
जब फिर नज़र कहीं
मीठी - सी रोशनी से गुज़रती है
तब तुम मुझे बहुत याद आती हो माँ
तब तुम मुझे बहुत याद आती हो
मेरी हर एक शरारत पे मुझे डाँट के
चोरी से मुस्कुराती हो
हर एक लम्हे, हर एक पल में
मेरी साँसों में आती - जाती हो
हँसती हो कभी तुम
और मुझे हँसाती हो
तो कभी रूठ के रुलाती हो
तुम मुझे बहुत याद आती हो माँ
तब तुम मुझे बहुत याद आती हो...!