बस...इतना सा ख़्वाब है...
बस...इतना सा ख़्वाब है...
एक छोटा सा मकान
दो वक्त की रोटी
आबरू ढकने को
थोड़ा सा कपड़ा
सभी के चेहरे पर
थोड़ी सी मुस्कुराहट
बस..इतना सा ख़्वाब है
बोरिया-बिस्तर,
फटे को अस्तर
और उपयुक्त कुछ सामान
थोड़ा बहुत
छोटा सा परिवार हो
खुशियाँ अपार हो
बस..इतना सा ख़्वाब है
बच्चों को पढ़ाना
पेट पानी को लगाना
छोटा सा परिवार
हँसी-खुशी,
मिल जुलकर रहना !
दादाजी, नानाजी बनके
अचानक रफूचक्कर होना
बस.. इतना सा ख़्वाब है
क्या यही जिंदगी हैं ?
एक जैसी जिंदगी
तो सभी जीते हैं...
आने वाला खत्म होता ही है !
एक ना एक दिन
मरना तो सभी को है
पर कुछ अच्छा करके दिखाओ...
हर कोई तुम्हारा नाम ले
नवाजे, मरने के बाद भी याद करे !
इतना सा ख़्वाब हो
अमर रहे
है जिंदगी के साथ भी
जिंदगी के बाद भी !