मासूम की पुकार
मासूम की पुकार
बोयी गई
किसी की चाहत
ममता की कोख में।
बड़े प्यार से
प्यारी तितली
कुछ-कुछ पनपी भी।
गिरा आसमान
उस मासूम पर
जब जाना
पल रही
वो गुड़िया थी।
कतरा-कतरा
बोटी-बोटी
काटी गई पेट में
चीखती रही कली
पापा मुझे बचालो
मम्मा मुझको जीना है।
बेटा बनकर
खड़ी रहूँगी
हाथ थामें आपका
अंकुरित भी
ना हो पायी
सिसकती सुबकती
मौन ही दफ़न हो गई
कोख में ही।
अजन्मी कली
कूड़े के ढ़ेर की
शोभा बन गयी
लो अब कहते हो
७०/३० का गेप है।।