फिर याद आयी बचपन की कहानी
फिर याद आयी बचपन की कहानी
फिर याद आयी बचपन की कहानी
याद आया वो कागज की कश्ती और बारिश का पानी
याद आया वो खेल जिसे हम कहा करते थे बर्फ और पानी
याद आयी वो गली जहां कभी किया करते थे शैतानी
याद आया वो स्कूल जहां से की थी हमने पढ़ाई,
याद आया वो गुरू जी का डांट और उनका दिया ज्ञान
जिससे बन सके हम बड़े आदमी,
याद आया वो दोस्तों की झूठी कहानी जिसे कहा करते थे हम भौकाली
याद आया वो जब सर मैम का लिया करते थे हम मजा गिरा कर पानी,
याद आया वो दोस्तों में टिफिन शेयर करने वाली आधी छुट्टी,
याद आया वो हमारा दण्डित होना जिसका कारण था हमारा बतियाना,
याद आया वो क्लास में होने वाली रासलिला की कहानी,
याद आया वो लास्ट पिरीयड वाली खुशी जिसके बाद होने वाली होती थी छुट्टी,
याद आया वो घर पहुंचने पर माँ का कहना चेंज कर ले बेटा खाना लगा रही,
याद आया वो कोचिंग आना और जाना
फिर वापस आने के बाद मुहल्ले के मित्रों के साथ अड्डेबाजी ,
ना कोई चिंता ना कोई डर बस सोचा करते थे नए खुराफात दिनभर,
याद अाता है वो बीता कल
अब बस ज़िन्दगी कट रही जैसे तैसे आज कल...