गङ्गा
गङ्गा
स्वर्ग लोक से थी मैं आयी
सबकी करती रही भलाई।
सबके ही पापों को धोती
कभी नहीं मैं थक कर सोती।
प्रभु विनती अब सुन कर आओ
अपने भक्तों को समझाओ।
मेरे बिन ये कष्ट सहेंगे
जाने फिर किस तरह रहेंगे।
(शिवजी का भक्तों को आदेश)
गङ्गा मेरे सर से निकली।
कितनी थी ये उजली उजली।
इसकी हालत क्या कर दी है
अब तो यह मैली दिखती है।
कूड़ा करकट मत तुम डालो
रख कर साफ इसे संभालो।
अगर रखोगे इसको गन्दा
गायब हो जाएगी गङ्गा।