तेरी याद
तेरी याद
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बहुत क़रीब था अब बात भी नहीं करता
वो मेरा दोस्त मुलाक़ात भी नहीं करता
जिन्हें सुन के लगे कोई तीर चला है दिल पे
वो अब ऐसे सवालात भी नहीं करता
मैं उसके कंधे पे सर अपना रख के रो लूँ कभी
खुदा तू ऐसी करामात भी नहीं करता
उसके पहलू में बैठ करके गुज़र जाये कभी
खुदा तू ऐसी कोई रात भी नहीं करता
वो मुझको भूल गया जो मुझसे कहा करता था
कि यार अब तो तू मुझे याद भी नहीं करता