महकती -सी मेरी ज़िंदगी
महकती -सी मेरी ज़िंदगी
नदी-सी कल-कल,
बहती है मेरी जिंदगी।
हर ठोकर पर उठती है ,
मेरी जिंदगी।
शैस्ता ,शीरीन बनकर ,
फ़िरदौस को कदमों तले,
लाती है मेरी ज़िंदगी।
आशा के दिए जलाकर ,
मन को परव़ाज़ दिलाती है मेरी ज़िंदगी।
हर पल को पल-पल में ,
जीती है मेरी जिंदगी।
स्नेह, सहानुभूति से ,
अदा में रहती है मेरी ज़िंदगी।
सुलझी-सी,गुलाबों-सी,
महकती है मेरी ज़िंदगी।।