सुगंधित प्यार
सुगंधित प्यार
शब जगी बोझिल पलकें खुलते ही
पहाड़ियों की खिड़की से
आदित ने झाँका
भोर ने एक रश्मि लहराई,
आरती के दीये सी
मेरी अलसायी आँखों में
एक मूरत उभर आई देव सी
झंकृत सी बजी धड़कन,
आरती अज़ान सी
लौ उठी एक
पाक मन की कुटिया में
हरसिंगार से महक उठे
स्पंदन मेरे,
एक गंध उभरी मीठी
मेरे देवालय से तन में
मीठे घी के दीये सी
कुछ घूप या लोबान सी,
हरसू क्या पाक हवा का डेरा है
लगता है यहीं आसपास कहीं
मेरे आराध्य का बसेरा है।