ये राज़ खुल जायेगा
ये राज़ खुल जायेगा
एक ना एक दिन तो ये राज़ भी खुल जायेगा, दिल की आह सुनकर ये दिल पिघल जायेगा।
ख़ुदा को ढूँढ़ने वाले, इतना तो खुद पे यक़ीन रख, ख़ुदा को ढूँढ़ते-ढूँढ़ते तू खुद से मिल जायेग, ज़िन्दगी की शाम का, सूरज जब ढलने लगेगा लौटकर हर एक परिन्दा अपने घर पर जायेगा।
जीतने की आदत, हर एक ज़ुनूनी की है, यही आदत हर बार जो गिरेगा उठेगा और फिर संभल जायेगा।
वक़्त की बिसात पे, कौन चलेगा अगली चाल, वक़्त आने पर तुम्हें सब पता चल जायेगा।
आग लगाकर तमाशा देखने वालों, अब ज़रा ये भी सुन लो
आग से जो खेलेगा वो ख़ुद भी जल जायेगा।
इतना भी ना इतराओ अपनी नज़रों पे तुम, निशाना मेरा चूका है मगर दूर तक जायेगा।।