नन्हा सा हूँ
नन्हा सा हूँ
नन्हा सा हूँ
मैं प्यारा सा हूँ
उड़ता आया हूँ
हवा के झोंके संग
तेरे आँगन में
ख़ुद को बनाने
तेरी साँसों में
ख़ुद को महकाने
देखो सोनिया शुरुआत हुई
अंकुर फूटा
देखो तो सही
मेरा भी आकार हुआ
हवा दूषित
पानी दूषित
मिट्टी भी तो दूषित हो चुकी
फिर भी हारा नहीं
मुस्कुरा रहा
ग़म नहीं
हौसले मेरे कुछ कम नहीं
फूलों की छाया बिखरेगी
एक दिन ये दुनिया
फिर से रंगीन हो चहकेगी
साथ दे मुझे अपना
क़ुदरत को भी तो
प्रेम करने दे मुझे
मत तोड़, मत मरोड़ मुझे
जीने दे..
दे मुझे जीवन
प्यास बुझा मेरी
अपने हाथों से अपने स्नेह से
काया सँवार मेरी
आज ख़याल रख ले तू
कल फिर मेरी बारी
कल फिर मेरी बारी।।