मै गुमसुम
मै गुमसुम
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मै गुमसुम, गुपचुप, खामोश, अकेले थामे तेरी याद के झोले घुटन, दर्द, चुभन, सहन के बीच सोच रही हूं करूँ किससे शिकायत क्यों कि तुम ही तो छोड़ गये मुझे जीवन रुपी नदी के मझधार में बिना किसी पतवार के दुख की लहरों के बीच डूबते, उपराते, अफनाते खोज रही हूँ खुद को एक तिनके की तलाश में और हाँ तुम्हारी याद मे