माह का पहला दिन
माह का पहला दिन
लो प्रिये मैं आ गया
कह उसने प्रवेश किया
हृदय प्रिया, धन लक्ष्मी प्रिया
गृह स्वामी ने उद्घोष किया
पत्नी की नज़र थी जेबों मे
जहा पति के हाथो का पहरा था
माह का पहला दिन था भैया
मिला पति को बोनस और तनख्वाह था
बड़ा लाड़ था पति परमेश्वर पे
पत्नि ने चाय बिस्कुट आगे बढ़ाया
हलाल होने से पहले, बकरे की हालत,
पति को भी समझ आया
पति कहे चलो माल चले
थोड़ा घूम घाम कर आते हैं
थक गए होंगे दोनों इतना
चलो मिलकर समय बिताते हैं
याद आया पत्नी को, माल का वाक्या
जब जब पति, हाथ पकड़ कर घूमते हैं
वो दिन होता है माह का पहला
ख़र्चे के डर से पति हाथ पकड़ कर चलते हैं
याद आते ही भार्या उचकी
नहीं चाहिए वैसा साथ
जाओ अपने कपड़े बदलो
मै बनाती हू, डिनर कुछ खास
रखना घड़ी फ्रीज के ऊपर
कपड़े लटकाना ड्रॉ में
जूते मोजे मेज के ऊपर
और वो जेब का बटुआ मेरे हाथ में
सुनकर पत्नी की इतनी अच्छी इच्छा
पति सोच मे अटका है
घंटा पूरा एक होने को है,
अभी तक,
बाथरूम से बाहर नहीं निकला है।