सुनो कविता!
सुनो कविता!
सुनो कविता,
तुम्हारा धर्म क्या है?
नदियों,झरनों,
पक्षियों,पशुओं,
किताबें,
सबके धर्म हैं यहाँ,
तुम्हारी जाति क्या है?
किस किस के लिए अछूत हो तुम,
कौन कौन भ्रष्ट तुम्हें छूकर?
पवित्र होती हो जाकर कहाँ?
तुम्हारी भाषा क्या है?
किस किस विषय तक सीमित,
किस किस क्षेत्र तक?
राइट हो या लेफ़्ट?
बुद्धिजीवी हो या फ़ासीवादी?
जवाब दो?
या दे दो जाँ..!