बेआवाज़ नदी
बेआवाज़ नदी
अभी-अभी
गुज़र गया एक क्षण
मेरे जीवन से
बेआवाज़
जैसे कि
अभी-अभी गुज़र गया
एक दिन
शान्त-निस्तब्ध
एक क्षण
कि एक दिन
कि महीना
कि एक साल
ये अवधियाँ कब गुज़र गईं
जीवन से
नामालूम ढँग से?
इस नदी से
कितना जल बहा
चुपचाप
निरर्थक
और निरन्तर सूखती-सिकुड़ती,
प्रदूषित होती
नदी को ज्ञात नहीं
कि उसमें शेष रह गया है
कितना जल;
और उस जल में
कितनी बूँदें,
और बूँदों में
कितनी हाइड्रोजन,
आॅक्सीजन कितनी?
तो यह जो
गुज़रा हुआ क्षण है,
क्या इसी में निहित था
सम्पूर्ण जीवन?
और जो क्षण आने को है,
कि आ ही गया है;
समेटे है
क्या एक नया सम्पूर्ण?
सिकुड़ती नदी
क्या एक बूँद जल है प्रदूषित,
जिसमें आॅक्सीजन की
निर्धारित मात्रा भी गायब?
क्या उस एक बूँद में ही
समाहित है
सम्पूर्ण नदी?
नदी की आत्मा से पूछो
जिसकी आँख से वह बूँद टपकी
अभी-अभी।